Bastar ka sahitya
Friday, July 22, 2011
Bastar ka sahitya: Hidi Kavita- कुम्हार का घड़ा
Bastar ka sahitya: Hidi Kavita- कुम्हार का घड़ा
: "आज मैने घड़़ा बनाया घूमते हुए चाक पर गीली मिट्टी को चढ़ा अपनी हथेलियों और अँगुलियों से सहेजकर चाक पर चढ़ी मेरे हाथों से घूमती मिट्टी..."
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