Wednesday, July 20, 2011

Hindi Kavita-Mera Jeevan

क्षंण भंगुर है जीवन मेरा
दीप जलाऊँगा।
फैल रहा अंधियारा काला
पल दो पल के लिए सही में 
उजियारा लाऊँगा।

पीड़ा मेरी अमिट छाप है
जीवन मेरी दृश्टि
फूलों की चाह नहीं है
ना मुरझाने का भय
खड़े लेन में अंतिम व्यक्ति 
से बतियाऊँगा 
क्षण भंगुर है जीवन मेरा
दीप जलाऊँगा...........

अंधियारे के काले काले बादल 
फेल रहे हैं नभ में
सूरज की हलकी सी किरण
बंद मुट्ठी में कर 
जग में फेलाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

पीड़ा मेरी मुझको भाये 
तुझको तेरा षुभ अर्पित
तेरे दुखों को अम्रत समझ
में पी जाऊंगा 
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

तू क्या जाने जलते अंगारों को 
मुख में रखने का सुख
ठण्डी-ठण्डी बर्फीली सी 
पवनों का सुख में पाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

पत्ते-पौधे जंगल सब कुछ
हर पल भाते मुझको
होले-हाले आती वायु से
नव जीवन पाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगाक्षंण भंगुर है जीवन मेरा
दीप जलाऊँगा।
फैल रहा अंधियारा काला
पल दो पल के लिए सही में 
उजियारा लाऊँगा।

पीड़ा मेरी अमिट छाप है
जीवन मेरी दृश्टि
फूलों की चाह नहीं है
ना मुरझाने का भय
खड़े लेन में अंतिम व्यक्ति 
से बतियाऊँगा 
क्षण भंगुर है जीवन मेरा
दीप जलाऊँगा...........

अंधियारे के काले काले बादल 
फेल रहे हैं नभ में
सूरज की हलकी सी किरण
बंद मुट्ठी में कर 
जग में फेलाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

पीड़ा मेरी मुझको भाये 
तुझको तेरा षुभ अर्पित
तेरे दुखों को अम्रत समझ
में पी जाऊंगा 
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

तू क्या जाने जलते अंगारों को 
मुख में रखने का सुख
ठण्डी-ठण्डी बर्फीली सी 
पवनों का सुख में पाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

पत्ते-पौधे जंगल सब कुछ
हर पल भाते मुझको
होले-हाले आती वायु से
नव जीवन पाऊंगा
क्षण भंगुर है जीवन मेरा 
दीप जलाऊंगा

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